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करवटें

यूँ ही करवटें बदलता रहता हूँ.मैं नींद में भी चलता रहता हूँ.. जब भी तुम चाँद बनकर निकलती हो.मैं सूरज की तरह ढलता रहता हूँ.. चराग़ बनने का बस इतना ही गम है.वक़्त के साथ क्यों पिघलता रहता हूँ.. कभी पर्वतों सा गंभीर भी हूँ.कभी नदियों सा मचलता रहता हूँ.. आँगन में हल्की रोशनी की […]

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मुक़द्दर को ढूंढता

औरों की ही तरह, मुक़द्दर को ढूंढता.आया तेरे शहर मैं, तेरे घर को ढूंढता. वो,जान भी दिया तो महज़ बूँद के लिए.जो शख़्स यूँ चला था, समंदर को ढूंढता. अपना किसे कहें समझ में कुछ नही आता.हर यार मिल रहा यहाँ, खंज़र को ढूंढता. ताउम्र जो ख़ुदा को कभी मान ना सका.ना जाने क्यों मिला

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चल रही सदियों से जो, वो बात होनी चाहिए

चल रही सदियों से जो, वो बात होनी चाहिए. अबकी सावन में भी इक, बरसात होनी चाहिए. सोच लो कि चाँद तारों पर तेरी मंज़िल खड़ी. है कठिन रस्ता मगर, शुरुआत होनी चाहिए. मानता हूँ नाज़ तुमको है अदा ओ हुस्न पर. पर मुझे पाने की भी औकात होनी चाहिए. अब तेरी नापाक हरक़त की

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अंधेरे कूप के अंदर, करे संसार की बातें

अंधेरे कूप के अंदर, करे संसार की बातें. कभी अधिकार की बातें,कभी सरकार की बातें. किनारे पर खड़े होकर,तुम अच्छी बात करते हो. किसी मझधार में जाकर,करो मझधार की बातें. मोहब्बत की हवेली में कभी भी झाँककर देखो. सुनो तो हो रही जैसे किसी व्यापार की बातें. ये दुनियाँ कांप उठेगी,ख़ुदाया काश ऐसा हो. सियासत

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है पुकारा आज अपने देश ने संतान को

है पुकारा आज अपने देश ने संतान को. जान देने का सही अब वक़्त शायद आ गया. सैकड़ों रंगों से बेहतर, रंग बसंती भा गया.. अब ज़रूरत आ पड़ी बेटों की हिन्दुस्तान को. है पुकारा आज अपने देश ने संतान को. भेदने को जिस्म आतुर,सैकड़ों हथियार हैं. और हम फौलाद का सीना लिए तैयार हैं.

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ज़िल्द

मैं एक ज़िल्द हूँ. मेरी फ़ितरत है,किताबों की रक्षा करना, मेरा फ़र्ज़ है उसकी सुरक्षा करना. मुझे अच्छा लगता है,सुकून मिलता है मुझे. हरेक विपत्ति को, पहले मैं झेलता हूँ. किताब को, हिफ़ाज़त से रखता हूँ. लेकिन अब मैं पुराना हो गया हूँ, शायद, गंदा हो गया हूँ मैं. मुझे बदलने की बात हो रही

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जहाँ हीरा भी बिकना चाहे,ऐसा बाज़ार बन

खुद की ही बात सुन, खुद की सरकार बन. जहाँ हीरा भी बिकना चाहे,ऐसा बाज़ार बन. दुश्मनों से नज़रें मिलाकर ललकार उसे. वो पत्तों की तरह कांप उठे,ऐसी दहाड़ बन. अंदाज़ में वज़न रख,मौत पर भी ताली बजेगी. जिसके बिना कहानी अधूरी लगे,ऐसा किरदार बन. चल आज हम एक दूसरे को मशहूर कर दें. मैं

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बहुत याद आती है बातें पुरानी.

बहुत याद आती है बातें पुरानी. भूले ना भूलूँ वो बचपन की बातें.वो तपती दुपहरी, वो खामोश रातें.पड़ी है अभी भी, वहीं एक कोने,टूटे खिलौनों की लंबी बरातें.हँसी सोचकर खुदपे आती है अब तो,वो झूठा था राज़ा, वो झूठी थी रानी. बहुत याद आती है बातें पुरानी.लड़कपन के दिन भी, क्या थे सुहाने.वो मीठा बरफ

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