है पुकारा आज अपने देश ने संतान को

है पुकारा आज अपने देश ने संतान को.
जान देने का सही अब वक़्त शायद आ गया.
सैकड़ों रंगों से बेहतर, रंग बसंती भा गया..
अब ज़रूरत आ पड़ी बेटों की हिन्दुस्तान को.
है पुकारा आज अपने देश ने संतान को.

भेदने को जिस्म आतुर,सैकड़ों हथियार हैं.
और हम फौलाद का सीना लिए तैयार हैं.
अबकी ताक़त ही दिखा देते है इस अनजान को.
है पुकारा आज अपने देश ने संतान को.

हे भगत,आज़ाद,बिस्मिल,आज ये आशीष दें.
तीन मस्तक़ के मुक़ाबिल,सैकड़ों हम शीश लें.
याद दिलवा दें ज़रा उसपर किए अहसान को.
है पुकारा आज अपने देश ने संतान को.

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