बहुत याद आती है बातें पुरानी.
भूले ना भूलूँ वो बचपन की बातें.
वो तपती दुपहरी, वो खामोश रातें.
पड़ी है अभी भी, वहीं एक कोने,
टूटे खिलौनों की लंबी बरातें.
हँसी सोचकर खुदपे आती है अब तो,
वो झूठा था राज़ा, वो झूठी थी रानी.
बहुत याद आती है बातें पुरानी.
लड़कपन के दिन भी, क्या थे सुहाने.
वो मीठा बरफ और हज़ारों बहाने.
दबाई थी दाँतों तले ऊँगली सबने,
जहाँ भी गया अपना किस्सा सुनाने.
जीवन का अद्भुत समय जा रहा था,
पीछे था बचपन, आगे जवानी.
बहुत याद आती है बातें पुरानी.
हुआ जब सयाना, किसे क्या सुनाना.
कहानी एक सी है, सभी ने है जाना.
सपनों की दुनियाँ में तैरा था मैं भी,
क्या तुमसे छुपाऊँ, क्या तुमको बताना.
ये अहसास मुझको अभी ही हुआ था.
कि लिखनी है मुझको भी कोई कहानी.
बहुत याद आती है बातें पुरानी.
अभी हाल की बात, क्या मैं बताऊँ.
बहुत कुछ है कहना, कहाँ से सुनाऊँ.
पड़ी मेज़ पर है, ग़ज़ल एक लिखी,
है दिल की तमन्ना, कहीं गुनगुनाऊँ.
कोई साथ दे दे, है मझधार आगे.
सच्ची है कश्ती, सच्चा है पानी.
बहुत याद आती है बातें पुरानी.
