चल रही सदियों से जो, वो बात होनी चाहिए.
अबकी सावन में भी इक, बरसात होनी चाहिए.
सोच लो कि चाँद तारों पर तेरी मंज़िल खड़ी.
है कठिन रस्ता मगर, शुरुआत होनी चाहिए.
मानता हूँ नाज़ तुमको है अदा ओ हुस्न पर.
पर मुझे पाने की भी औकात होनी चाहिए.
अब तेरी नापाक हरक़त की सज़ा प्रत्यक्ष है.
बस किसी रणक्षेत्र में, मुलाक़ात होनी चाहिए.
