अंधेरे कूप के अंदर, करे संसार की बातें.
कभी अधिकार की बातें,कभी सरकार की बातें.
किनारे पर खड़े होकर,तुम अच्छी बात करते हो.
किसी मझधार में जाकर,करो मझधार की बातें.
मोहब्बत की हवेली में कभी भी झाँककर देखो.
सुनो तो हो रही जैसे किसी व्यापार की बातें.
ये दुनियाँ कांप उठेगी,ख़ुदाया काश ऐसा हो.
सियासत बंद हो घर की,चले तलवार की बातें.
जहाँ है रोशनी मद्धम,वहाँ ईमान बिकते हैं.
यहाँ के लोग कहते हैं,इसी बाज़ार की बातें.
मुझे बर्बाद यूँ ही कर,लगी आदत इसी की है.
तेरे मुँह से नही लगती,अब अच्छी प्यार की बातें.
